उत्तर प्रदेश में छांगुर के धर्मांतरण गिरोह का जाल कितना गहरा और फैला हुआ था, अब इसका खुलासा हो रहा है। एटीएस और खुफिया एजेंसियों ने ‘मिशन पहचान’ के तहत बड़ी कार्रवाई शुरू कर दी है। जांच में सामने आया है कि इस गिरोह से करीब 3000 लोग जुड़े थे, जिनके नाम और पते खंगाले जा रहे हैं।
एटीएस के साथ अब लोकल इंटेलिजेंस यूनिट (LIU) भी मैदान में उतर गई है। सिर्फ यूपी ही नहीं, बल्कि महाराष्ट्र, हरियाणा और बिहार तक जांच का दायरा बढ़ाया गया है। नेपाल में बैठे छांगुर के संपर्कों को भी ट्रेस करने की कोशिशें तेज हो गई हैं।
अब अफसर भी घेरे में!
इस मामले की आंच अब प्रशासन और पुलिस के भीतर तक पहुंच चुकी है। राजस्व विभाग और पुलिस महकमे के कुछ अफसर-कर्मचारियों पर भी गाज गिर सकती है। न्यायालय के बाबू राजेश उपाध्याय की गिरफ्तारी इसी मिशन की एक बड़ी कड़ी है।
एमेन रिज़वी बना एजेंसियों का अगला टारगेट
छांगुर का खास सिपहसालार एमेन रिजवी भी अब एटीएस की रडार पर है। उतरौला का रहने वाला एमेन, पुलिस और प्रशासन में अपनी गहरी पकड़ के लिए जाना जाता था। एक बार उसने दावा किया था कि “कोतवाली का पूरा काम वही देखता है”, जिसका ऑडियो वायरल होने के बाद एफआईआर भी दर्ज हुई थी।
सूत्रों के मुताबिक, एमेन ही छांगुर के पूरे पुलिस-प्रशासन मैनेजमेंट को हैंडल करता था। अब उसकी गतिविधियों की भी बारीकी से जांच हो रही है।
9 जिलों में कार्रवाई, नेपाल से लेकर बिहार तक जाल
बलरामपुर, आजमगढ़, सिद्धार्थनगर, बहराइच और श्रावस्ती जैसे जिलों में एटीएस की टीम जांच में जुटी है। सूत्रों की मानें तो बढ़नी में भी एक विशेष यूनिट एक्टिव है।
यह मामला जितना पुराना है, उतना ही गहरा भी। जल्द ही इस नेटवर्क से जुड़े और बड़े चेहरे सामने आ सकते हैं।