Monday, December 1, 2025
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एटीएस की कार्यवाही से जलालुद्दीन उर्फ छांगुर जेल में, लेकिन सवाल बरकरार – गिरोह में शामिल सफेदपोशों पर कब होगी कार्रवाई?

एटीएस की कार्यवाही से जलालुद्दीन उर्फ छांगुर जेल में, लेकिन सवाल बरकरार – गिरोह में शामिल सफेदपोशों पर कब होगी कार्रवाई

उतरौला (बलरामपुर): उत्तर प्रदेश एटीएस द्वारा अवैध धर्मांतरण गिरोह के सरगना जलालुद्दीन उर्फ छांगुर की गिरफ्तारी एक बड़ी कार्रवाई के रूप में सामने आई है। हालांकि इस गिरफ्तारी के बावजूद उसका संगठित नेटवर्क आज भी पूरी तरह सक्रिय नजर आ रहा है। गिरोह के अन्य गुर्गे, दलाल, प्लॉटिंग माफिया, सफेदपोश और कुछ भ्रष्ट अफसर अब भी कानून की पकड़ से बाहर हैं।

धार्मिक और आर्थिक षड्यंत्र का संगठित जाल

सूत्रों की मानें तो छांगुर न केवल धर्मांतरण का रैकेट चला रहा था, बल्कि सरकारी और विवादित जमीनों पर कब्जा कर अवैध प्लॉटिंग के जरिये करोड़ों रुपये का काला धन भी वैध संपत्तियों में बदल रहा था। इस पूरे नेटवर्क में शामिल उसके खास सहयोगी – नीतू उर्फ नसरीन और नवीन रोहरा – ने उतरौला समेत कई इलाकों में बेनामी संपत्तियों में भारी निवेश किया है।

धर्मांतरण के लिए हिंदू लड़कियों को बनाते थे निशाना

खुफिया जानकारी के मुताबिक, छांगुर गिरोह की एक विशेष रणनीति हिंदू लड़कियों को फंसाने की थी। इसमें सोशल मीडिया, निजी संपर्क, लालच, भय और दबाव का इस्तेमाल किया जाता था। योजनाबद्ध तरीके से लड़कियों की पहचान कर उन्हें इस्लाम कबूल करने के लिए मजबूर किया जाता था। यह एक सुनियोजित और खतरनाक अभियान था, जिसकी जड़ें अब भी जीवित हैं।

विरोध करने वालों को झूठे केसों में फंसाने का आरोप

सूत्र यह भी बताते हैं कि जो लोग छांगुर के खिलाफ आवाज उठाते थे, उन्हें झूठे केसों में फंसाने के लिए उसके गिरोह ने फर्जी शिकायतें दर्ज करवाईं। कई बार बलात्कार जैसे गंभीर आरोपों का सहारा लिया गया, जिसमें गिरोह को स्थानीय अधिकारियों और दलालों का पूरा समर्थन प्राप्त था।

जनता में डर और प्रशासन पर अविश्वास

कोतवाली स्तर पर छांगुर और उसके गुर्गों के खिलाफ सैकड़ों शिकायतें दर्ज होने के बावजूद, प्रभावशाली नेटवर्क और प्रशासनिक गठजोड़ के कारण ठोस कार्रवाई नहीं हो पाई। यही कारण है कि उतरौला और बलरामपुर क्षेत्र की जनता में आज भी भय और असमंजस की स्थिति बनी हुई है।

एजेंसियों की चालों को भांपते हैं ‘हैंडलर’

एटीएस और एसटीएफ जैसी एजेंसियों की हलचल के साथ ही गिरोह सतर्क हो जाता है। खुफिया रिपोर्ट्स के मुताबिक, छांगुर का नेटवर्क टेक्नोलॉजी का उपयोग कर जांच एजेंसियों की गतिविधियों पर नजर रखता है। इससे कार्रवाई प्रभावित होती है।

जनता पूछ रही सवाल

स्थानीय जनप्रतिनिधियों और सामाजिक कार्यकर्ताओं का कहना है कि जब तक इस नेटवर्क के सभी प्रमुख सदस्यों – चाहे वे सफेदपोश हों या दलाल – पर कठोर कार्रवाई नहीं होती, तब तक क्षेत्र में कट्टरपंथ और संगठित अपराध का खतरा बना रहेगा।

गिरफ्तारी बस एक शुरुआत

छांगुर उर्फ जलालुद्दीन की गिरफ्तारी भले ही एक बड़ी उपलब्धि हो, लेकिन यह केवल शुरुआत है। असली चुनौती है – इस पूरे संगठित गिरोह की जड़ों तक पहुँचना और उसे पूरी तरह खत्म करना।

क्या ATS और STF इस साजिशी नेटवर्क के असली आकाओं तक पहुँच पाएंगे?

जनता इंतजार में है – न्याय की, सुरक्षा की, और सच्चाई के उजाले का

 

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