बलरामपुर – जिले के विभिन्न विकासखंडों में किसान इन दिनों खाद की गंभीर किल्लत से जूझ रहे हैं। सरकारी केंद्रों पर खाद की अनुपलब्धता के चलते किसानों को दिनभर लंबी कतारों में खड़ा रहना पड़ रहा है, बावजूद इसके उन्हें खाली हाथ लौटना पड़ता है। मजबूरी में किसान निजी दुकानों से खाद खरीदने को विवश हैं, जहां उन्हें निर्धारित दर से कहीं अधिक कीमत चुकानी पड़ रही है।
दैनिक भास्कर की टीम ने हरैया सतघरवा विकासखंड के सिंहपुर स्थित सरकारी खाद गोदाम का निरीक्षण किया। वहां मौजूद किसानों ने बताया कि वे बीते चार दिनों से सुबह 6 बजे से शाम 6-7 बजे तक लाइन में लगते हैं, लेकिन उन्हें खाद नहीं मिलती। किसानों का आरोप है कि खाद तो गोदाम में आती है, लेकिन आम किसानों को न देकर उसकी काला बाजारी की जा रही है।
रात में हो रही है कालाबाजारी का संदेह
स्थानीय किसानों का कहना है कि गोदाम में रात के अंधेरे में खाद की बोरियां बाहर भेजी जाती हैं। यही वजह है कि सुबह आने वाले किसानों को खाली हाथ लौटना पड़ता है। जब कभी खाद मिलती भी है, तो उसे निर्धारित मूल्य से अधिक दर पर बेचा जाता है।
500-600 रुपये में खरीदनी पड़ रही खाद
यूरिया की सरकारी दर 266 रुपये प्रति बोरी है, लेकिन किसानों से 290 से 310 रुपये वसूले जा रहे हैं। यदि सरकारी केंद्र से खाद नहीं मिलती, तो किसानों को मजबूरी में निजी दुकानों से 500 से 600 रुपये प्रति बोरी की दर पर खरीदनी पड़ती है।
प्रशासन की जवाबदेही पर सवाल
स्थानीय लोगों ने बताया कि खाद वितरण केंद्रों पर जिम्मेदार अधिकारी, विशेष रूप से सचिव, अक्सर अनुपस्थित रहते हैं। जब कभी वे आते हैं तो महज एक-दो घंटे रुककर वापस चले जाते हैं। ग्रामीणों का सवाल है कि यदि खाद की आपूर्ति हो रही है, तो वह किसानों तक क्यों नहीं पहुंच रही? इस पूरे मामले में जिम्मेदार अधिकारियों की जवाबदेही तय की जानी चाहिए।
जिला प्रशासन का दावा, किसानों का इनकार
दूसरी ओर, जिला प्रशासन ने सूचना जारी कर कहा है कि जिले में पर्याप्त मात्रा में खाद उपलब्ध है। लेकिन किसानों का कहना है कि यह दावा सच्चाई से कोसों दूर है। दैनिक भास्कर द्वारा जब इस मामले में जिला कृषि अधिकारी से संपर्क करने की कोशिश की गई, तो उन्होंने फोन नहीं उठाया, जिससे किसानों में और अधिक नाराजगी देखी गई।
निष्कर्ष
बलरामपुर में खाद की मौजूदा स्थिति बेहद चिंताजनक है। सरकारी व्यवस्था की लापरवाही और कालाबाजारी के आरोपों के बीच किसान दोहरी मार झेल रहे हैं — एक ओर उन्हें दिनभर लाइन में खड़ा रहना पड़ता है, दूसरी ओर उन्हें महंगे दामों पर खाद खरीदनी पड़ रही है। ऐसे में जरूरत है कि जिला प्रशासन तुरंत हस्तक्षेप करे और दोषियों के खिलाफ सख्त कार्रवाई की जाए!